ਵਰਤੋਂਕਾਰ:Hardarshan
ਦਿੱਖ
SANTOSH GULATIS POEMS OF CHACHA NEHRU
चाचा नेहरु की कहानी , सब को लगाती बड़ी सुहानी, इसको कहते नाना-नानी,दुनिया थी इनकी दीवानी. बचपन बीता खेल में, जवानी बीती जेल में , जीवन बदला गाँधी ने , देश की दासता थी मिटानी.... जहाँ -जहाँ वे कदम बढ़ाते ,नए सपने लेकर जाते ,जयहिंद का नारा लगते ,देश की ताकत थी बढानी...... राष्ट्र एक बगीचा हो ,खिलते हुए गुलाब हों ,बच्चों की मुस्कान हो, उनके मन ने थी ठानी......... सब में भाई चारा हो, देश बने न्यारा हो, बाल-दिवस सब को प्यारा हो, उनकी बातें नहीं भुलानी. ..... शान्तीवन की समाधी कह रही,अमन का सन्देश दे रही,आओ सुमन अर्पित करें,उनकी कुर्बानी नहीं भुलानी ..
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वीर जवाहर का जन्म दिवस है बालदिवस, इतिहास बताता है, खिला -खिला गुलाब खुशबू फैलाता है..... एकता की ताकत से ,मंजिल उन्होंनें पायी थी, भारत हुआ आज़ाद ,गूँज उठी शेहनाई थी.. जहां-जहां वे चले ,सब ने उनका साथ दिया,छोड़ भेद भाव सारे,देश को संवार दिया.... जिन राहों पर जवाहर चले, उन राहों पर चलना है, विश्व शांती बनी रहे ,यह उनका कहना है... जब तक सूरज चाँद रहेंगे ,बच्चे उनको याद करेंगे ,देश का ऊँचा नाम करेंगे,नया इतिहास रचेंगे....
लो चौदाह नवम्बर आ गया ,चाचा नेहरु की याद दिला गया, बच्चों का मनभावन ,बालदिवस फिर आ गया, सिर पर टोपी ,अचकन में गुलाब समा गया, मोती का वह लाडला ,लोगों को लुभा गया, गांधीजी की आवाज़ ने,देश भक्त बना दिया, अपना सब कुछ भूल कर ,वतन पर लुटा दिया, देश को आज़ाद करा दिया ,जनता ने नेता बना दिया, लाल किले पर झंडा लहरा दिया, जयहिंद का नारा लगा दिया, भारत हो शिखर पर ,ऐसा मंत्र बना दिया , अमन की सब भाषा बोंलें ,वैसा पाठ पड़ा दिया, आसमान में तारा देखो ,कैसा टिमटिमा रहा, सदीयों तक ना भूलेगी,उनकी यह दास्ताँ......
चाचा नेहरु ला जवाब ,खिलता हो जैसे गुलाब मिति की आँखों का तारा,था जन-जन का प्यारा सीधे सादे दिल के सच्चे ,बच्चे उनको लगते अच्छे बच्चे उनको करते उनको याद ,चाचा नेहरु ला जवाब आज़ादी की लड़ी लड़ाई ,अंग्रेजो को यह बात ना भाई सज़ा पायी विपदा झेली ,भारत की फिर डोर संभाली गाँधी के पथ को अपनाया, शांतिदूत नाम पाया
भारत के निर्माता नेहरु ,भारत की शान नेहरु चाचा नेहरु ला जवाब ,खिलता हो जैसे गुलाबHardarshan (ਗੱਲ-ਬਾਤ) ੧੨:੨੬, ੭ ਦਸੰਬਰ ੨੦੧੩ (UTC)